Thursday, October 22, 2020

एग्जिक्युटिव के कहने से नहीं बल्कि जरूरत को देखते हुए खुद तय करें, आपको गाड़ी में ज्यादा पावर चाहिए या टॉर्क

शोरूम पर कार खरीदने जाओ, तो एग्जिक्युटिव को ये कहते सुना जा सकता है कि सर, इसमें गाड़ी में ज्यादा टॉर्क मिलेगा या इस गाड़ी में ज्यादा पावर मिलेगा, ये आपके लिए बढ़िया रहेगी। कई बार लोग एग्जिक्युटिव के कहे अनुसार गाड़ी खरीद लेते हैं, बगैर यह सोचे-समझे कि उन्हें किस तरह की गाड़ी की जरूरत थी।

अगर आप भी पावर (बीएचपी) और टॉर्क के बीच कंफ्यूज हैं और तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपके लिए किस तरह का गाड़ी सही रहेगा, ज्यादा टॉर्क वाली या ज्यादा पावर (बीएचपी) वाली। तो फिजिक्स की भाषा में नहीं बल्कि आसान भाषा में एक्सपर्ट से समझिए, इनमें क्या अंतर है...

आसान भाषा में समझिए पावर और टॉर्क में अंतर...

टॉर्क होता है ट्विस्टिंग फोर्स, यानी वो फोर्स जो किसी चीज को घुमाने (रोटेट) में मदद करता है।
  • पावर को समझने के लिए पहले टॉर्क को समझना होगा। टॉर्क होता है ट्विस्टिंग फोर्स, यानी वो फोर्स जो किसी चीज को घुमाने (रोटेट) में मदद करता है। दरवाजे खोलने के लिए हैंडल घुमा रहे हैं, तो जो फोर्स लगाया है वो टॉर्क है। नट खोलने के लिए पाने पर जो फोर्स लगा रहे हैं, वो फोर्स भी टॉर्क है, यानी हर वो फोर्स जो किसी चीज को घुमाने में मदद करेगा वो टॉर्क होगा और इस काम को एक गति से करना पावर कहलाएगा।
  • उदाहरण से समझिए- एक कार को पॉइंट A से पॉइंट B तक पहुंचने में जो फोर्स लगेगा, वो टॉर्क कहलाएगा। अब यही कार इन दो पॉइंट के बीच की दूरी कितनी तेजी से तय करेगी, वो इसकी पावर कहलाएगी। पावर का सीधा संबंध स्पीड से है, यानी कितनी जल्दी काम हो रहा है।

इंजन के संदर्भ में ऐसे समझें...

जितनी तेजी से पिस्टन काम करेंगे, उतनी ही ज्यादा आरपीएम जनरेट होगी और उतना ही ज्यादा टॉर्क प्रोड्यूस करने में मदद मिलेगी।
  • जैसे की हम सभी को पता है कि इंजन फोर-स्ट्रोक प्रिंसिपल पर काम करता है। इंजन में जो सिलेंडर होते हैं उनके अंदर कंबंशन प्रोसेस होती है, जिससे पिस्टन ऊपर-नीचे होते हैं। जितनी तेजी से पिस्टन काम करेंगे उतनी ही तेजी से क्रैंक शॉफ्ट घूमती है। यानी इस पूरी प्रोसेसर से निकली एनर्जी से गाड़ी चलती है।
  • आम भाषा में समझें तो जितनी तेजी से पिस्टन काम करेंगे, उतनी ही ज्यादा आरपीएम जनरेट होगी और उतना ही ज्यादा टॉर्क प्रोड्यूस होगा और ये काम जितनी तेजी से होगा उससे स्पीड मिलेगी। तो इंजन के अंदर कुछ इस तरह से टॉर्क और पावर मिलता है। (आरपीएम यानी एक मिनट में क्रैश शाफ्ट इंजन के अंदर कितनी बार घूमती है।)
  • पावर को हम बीएचपी और एचपी में कैलकुलेट करते हैं। बीएचपी (ब्रेक हॉर्स पावर) का मतलब इंजन का ऑन क्रैंक पावर, यानी जब कंपनी इंजन की टेस्टिंग कंट्रोल्ड कंडीशन में करती है (इस कंडीशन में इंजन में न व्हील्स लगे होते हैं न ही उस पर कोई वजन दिया होता है) और इस कंडीशन में इंजन जितना पावर प्रोड्यूस करता है, उसे बीएचपी में मापा जाता है।
  • वहीं, एचपी से कंपनी का संदर्भ ऑन व्हील पावर से है। इसमें गियरबॉक्स-सस्पेंशन-चेन टेंशन से जो पावर लॉस हो रहा है, इन सब पावर लॉस के बाद इंजन जितना पावर प्रोड्यूस करता है, उसे हॉर्स पावर (एचपी) में मापा जाता है। इसलिए बीएचपी और एचपी में अंतर देखने को मिलता है।

इंजन को कई तरह से ट्यून किया जा सकता है

चढ़ाई पर चढ़ने के लिए पहले या दूसरे गियर का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यहां हमें स्पीड की नहीं बल्कि ज्यादा टॉर्क की जरूरत होती है
  • इंजन के टॉर्क को कम ज्यादा किया जा सकता है। यह काम गियर रेशो के मदद से किया जाता है। हर गियर अलग-अलग रेशो पर सेट होता है और इन्हीं रेशो की मदद मे डिस्टेंस कम-ज्यादा कर टॉर्क कम-ज्यादा किया जाता है।
  • उदाहरण से समझे तो पहले और दूसरे गियर में टॉर्क ज्यादा मिलता है, क्योंकि इस वक्त स्पीड नहीं चाहिए बल्कि गाड़ी आगे बढ़ाने के लिए ताकत चाहिए होती है। चढ़ाई पर चढ़ने के लिए पहले या दूसरे गियर का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यहां हमें स्पीड की नहीं बल्कि ज्यादा टॉर्क की जरूरत होती है।
  • हर गाड़ी के इंजन को अलग-अलग कामों के लिए ट्यून किया जाता है। महिंद्रा XUV500 की बात करें तो इसमें 2179 सीसी का इंजन है। इसके इंजन को खासतौर से स्पीड के लिए डिजाइन किया है, इसकी सिटिंग कैपेसिटी भी तय है, इसलिए इसमें बीएचपी ज्यादा मिलेगी लेकिन महिंद्रा बोलेरो पिकअप की बात करें तो इसमें 2523 सीसी का इंजन है। इस गाड़ी को सामान ढोने के लिए बनाया गया है इसलिए बड़ा इंजन होने के बावजूद इसमें पावर कम और टॉर्क ज्यादा मिलता है।

पावर और टॉर्क में से ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है?

  • एक्सपर्ट ने बताया कि गाड़ी खरीदने जा रहे हैं तो पावर और टॉर्क दोनों पर ध्यान देना चाहिए, हालांकि सबकी प्राथमिकता अलग-अलग होती है।
  • गाड़ी में पावर और टॉर्क को किस तरह से सेट किया गया है, यह कंपनी-टू-कंपनी भी अलग हो सकता है, क्योंकि कुछ कंपनियां माइलेज पर फोकस करती हैं, तो कुछ परफॉर्मेंस पर।
  • वैसे अगर आपको ज्यादातर घाट या पहाड़ी रास्तों पर चलना होता है, तो आपके लिए डीजल गाड़ी लेना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है क्योंकि डीजल गाड़ियों में टॉर्क ज्यादा मिलता है।
  • वहीं, अगर आप ज्यादातर फ्लैट सरफेस पर गाड़ी चलाते हैं, तो आपको ऐसी गाड़ी खरीदना चाहिए, जिसमें पावर ज्यादा हो, जैसा की हमें पेट्रोल गाड़ियों में देखने को मिलती है।

नोट- सभी पॉइंट्स ऑटो एक्सपर्ट विकास योगी से बातचीत के आधार पर


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इंजन के टॉर्क को कम ज्यादा किया जा सकता है, यह काम गियर रेशो के मदद से किया जाता है क्योंकि हर गियर अलग-अलग रेशो पर सेट होता है।


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