
जानकारी के मुताबिक रमेश ने 1989 से बीएमसी में माली के रूप में काम करना शुरू किया था। बीएमसी को जबतक शेलार के दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी तबतक वह सरकारी खजाने से 43.31 लाख रुपये का वेतन ले चुका था।
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