पीयूष गोयल ने भारत में काम कर रही वाहन कंपनियों से अपनी मूल कंपनियों को रॉयल्टी भुगतान कम करने को कहा है। उनका कहना है कि इससे संकट से गुजर रही ऑटो इंडस्ट्री को उबरने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि देश के व्हीकल मार्केट पर व्हीकल कंपनियों की अच्छी खासी पकड़ है और वे अपनी पैरेंट कंपनियों को कई करोड़ डॉलर का रॉयल्टी भुगतान करती हैं। रॉयल्टी में कमी उनकी कैश फ्लो की समस्या को कम कर सकती है। इससे गाड़ियों की कीमतें कम करने और घरेलू बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
आयातित कारों पर ड्यूटी बढ़ा सकती है सरकार
गोयल ने कहा कि कुछ अन्य देशों के शुल्क और नाॅन-ट्रेड बाधाएं खड़ी करने से भारत के वाहन निर्यात को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश ने कुछ अलग तरह के आयात शुल्क लगाए हैं। वहीं, इंडोनेशिया ने आयात का कोटा तय कर दिया है। उन्होंने कहा, हम इन मुद्दों का समाधान करने में लगे हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ हमने बेहतर संवाद स्थापित किया है। मैंने इंडोनेशिया के समक्ष भी मुद्दा उठाया है। इंडस्ट्री को मार्केट तक निष्पक्ष पहुंच मिलनी चाहिए।
कम हो सकता है जीएसटी रेट
लॉकडाउन से भारी दबाव और सुस्ती झेल रही भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को केंद्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। सरकार सभी तरह के व्हीकल्स पर जीएसटी रेट में 10 फीसदी कटौती करने पर विचार कर रही है। मिनिस्टर ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक एंटरप्राइजेज प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार सभी तरह के वाहनों पर जीएसटी रेट में 10 फीसदी कटौती करने की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मांग पर विचार कर रही है। सरकार इसकी घोषणा जल्द ही करने वाली है।
सरकार लाएगी व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार को विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से इनपुट मिले हैं और इन्सेंटिव बेस्ड व्हीकल्स स्क्रैपेज पॉलिसी तैयार है। जल्दी ही इसकी घोषणा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि ऑटो इंडस्ट्री जीएसटी दरों में कटौती करने और कोरोना वायरस संकट के बाद के दौर में मांग रिवाइव करने के लिए व्हीकल्स स्क्रैपेज पॉलिसी को समय पर लागू करने की मांग कर रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में 75 फीसदी की गिरावट आई।
कोरोनावायरस की वजह से इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित
कोरोनावायरस के प्रकोप से भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुई है। लॉकडाउन में वाहनों का उत्पादन पूरी तरह बंद रहा और मांग बिल्कुल ना के बराबर रहा। वाहन मैन्युफैक्चरिंग के अप्रैल की बिक्री रिपोर्ट का आंकड़ा जीरो रहा। हालांकि, अब इंडस्ट्री रिकवर कर रही है, मांग में तेजी आई है।
SIAM के अध्यक्ष राजन वढेरा ने कहा कि पैसेंजर्स व्हीकल्स सेगमेंट ने पिछले दो दशकों में सबसे लंबी मंदी देखी। इसी तरह, कॉमर्शियल व्हीकल्स ने पिछले 15 वर्षों में दूसरी सबसे लंबी मंदी का सामना किया। उन्होंने कहा कि टू व्हीलर्स वाहन सेगमेंट में भी छह तिमाहियों के लिए निरंतर मंदी देखी गई है।
मारुति सुजुकी के एमडी एवं सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा कि हम कह सकते हैं कि अगस्त में हमने पिछले साल की तुलना में वापसी की है। हालांकि, पिछले साल से तुलना करना सही नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान उद्योग ने 15-25 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ दर्ज की थी। इसने उद्योग को कई साल पीछे कर दिया है।
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