
सजा सुनाने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज एम ने कहा कि मामला दुर्लभ से दुर्लभतम है, लेकिन दोषी की उम्र (28 साल) को देखते हुए उसे मृत्युदंड के बजाय उम्रकैद की सजा देने का फैसला किया है
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