पत्र में कहा गया है कि सम्मेलनों की आड़ में देश की धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश की जा रही है। सम्मेलनों के जरिए किए जा रहे घर वापसी और नहसंहार के आह्वान से देश के अल्पसंख्यकों के मन में खतरा पैदा हो रहा है। अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया है।
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