'जगदम्बा की जय हो!' ये वही शब्द थे, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान एक घायल, लेकिन दृढ़निश्चयी और साहसी द्वितीय लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ने कहे थे, जब वह लगी चोटों की परवाह न करते हुए पाकिस्तानी युद्धक टैंकों को नष्ट करने के लिए आगे बढ़े थे।
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