रात के समय हाईवे पर टायर पंचर हो जाएं, तो सबसे पहले एयर कम्प्रेसर की याद आती है। अगर यह आपकी गाड़ी में रखा हो तब तो ठीक है, अगर नहीं है तो दिक्कत हो सकती है। इस समय आमतौर पर गाड़ियों में ट्यूबलेस टायर्स आ रहे हैं, पंचर होने पर इनकी हवा एक दम से नहीं निकलती। ऐसे में कभी टायर पंचर हो भी जाए, तो एयर कम्प्रेसर से हवा भरकर आप नजदीकी मैकेनिक शॉप तक पहुंच सकते हैं। लेकिन अगर कम्प्रेसर नहीं है तो दूसरों पर मदद के लिए निर्भर होना पड़ सकता है। अगर आप खुद को इस तरह की मुसीबत में नहीं डालना चाहते, तो पहली फुर्सत में एयर कम्प्रेसर खरीद लें। इनकी कीमत 400 रुपए से शुरू हो जाती है, जो क्वालिटी और ब्रांड के हिसाब से 3 हजार रुपए या उससे ऊपर भी जाती है। लेकिन पहले पढ़िए इसे खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना है...
एयर कम्प्रेसर खरीदते समय इन बात का विशेषतौर पर ध्यान रखें...
1. इस्तेमाल करने में आसान: ऐसे एयर कम्प्रेसर (इन्हें टायर इन्फ्लेटर भी कहते हैं) का चुनाव करें, जिसे इस्तेमाल करना आसान हो। बच्चें हों या बड़े कोई भी इसकी मैकेनिज्म आसानी समझ सके और समय पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सके। बाजार में साइज, डिजाइन और PSI कैपेसिटी के हिसाब से अलग-अलग कम्प्रेसर मौजूद हैं लेकिन काम सभी एक ही करते हैं।
2. स्पीड और एक्यूरेसी: कम्प्रेसर खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि वह कितनी तेजी से टायरों में हवा भरेगा। इसका अंदाजा आप स्टॉप-वॉच का इस्तेमाल कर लगा सकते हैं या इसके रिटेल बॉक्स पर भी इसकी जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा यह बात भी मायने रखती है कि कम्प्रेसर कितनी सटीकता से टायरों में हवा भरता है।
3. फीचर्स: कीमत से हिसाब से कम्प्रेसर के फीचर्स अलग हो सकते हैं। कुछ कम्प्रेसर में एनालॉग मीटर आता है, जिसमें इतनी एक्यूरेसी नहीं होती है। लेकिन इस समय बाजार में कई ऐसे कम्प्रेसर मौजूद हैं जिनमें डिजिटल डिस्प्ले मिल जाता है, जिसे समझना काफी आसान होता है। अन्य फीचर्स की बात करें तो कुछ कम्प्रेसर में एलईडी टॉर्च भी मिलता है, ताकि रात के समय इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सके। इसके अलावा कई कम्प्रेसर के साथ फुटबॉल और खिलौनों में हवा भरने के लिए अलग-अलग नोजल भी मिलते हैं।
4. ड्यूरेबिलिटी/वारंटी: सस्ते के चक्कर में हल्की क्वालिटी का एयर कम्प्रेसर न खरीदें। यह एक महत्वपूर्ण कार एक्सेसरीज है, तो बेहतर होगा कि अच्छा कम्प्रेसर ही खरीदें। इसके लिए उसकी बिल्ट-क्वालिटी, नोजल क्वालिटी, बटन, वायर लेंथ, सॉकेट क्वालिटी के साथ उसकी वारंटी पर भी ध्यान दें। ताकि लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सके।
कैसे करता है काम
- वर्तमान में ज्यादातर कार कम्प्रेसर के साथ अच्छी खासी वायर लेंथ और12 वोल्ट सॉकेट मिल जाता है। इस सॉकेट को कार के 12 वोल्ट सॉकेट में फिक्स करना होगा है। ध्यान रहें कि सॉकेट कार में लगाने के बाद कार का इग्निशन ऑन कर लें वरना यह बैटरी ड्रेन हो सकती है और एक नई मुसीबत खड़ी हो सकती है।
- इसे ऑन करने पर डिस्प्ले में कुछ यूनिट दिखाई देंगी जैसे PSI,BAR,KPA, आमतौर पर PSI यूनिट इस्तेमाल की जाती है। अलग-अलग गाड़ी (सेडान, हैचबैक, एसयूवी) के टायरों की PSI यूनिट अलग होती है। इसलिए पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी गाड़ी के टायर में कितनी PSI हवा डलती है। इसके बाद कम्प्रेसर में दी गई बटन से उतनी PSI सेट करें, नोजल को टायर में लगाएं और ऑन कर दें। कुछ कम्प्रेसर में ऑटो कट-ऑफ मिलता है यानी तय PSI तक हवा भरने के बाद कम्प्रेसर ऑटोमैटिक बंद हो जाता है। हवा भरते समय यह थोड़ा वाइब्रेट जरूर होगा, लेकिन इससे इसे कोई नुकसान नहीं होगा। हां टायर में हवा भरते समय ये थोड़ा गर्म हो जाता है, इसलिए इसे 4-5 मिनट का गैप देकर इसे अगले टायर में यूज करें।
(फोटो क्रेडिट-गूगल)
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