भगवान राम का जन्म स्थान नेपाल में बताकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अब चारों ओर से घिरते नजर आ रहे हैं। नेपाल के भीतर उनका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। इस बीच नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शेखर कोईराला ने कहा कि वास्तविकता समझे बिना प्रधानमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कोई भी बात नहीं बोलनी चाहिए। प्रधानमंत्री जितना कम बोले उतना अच्छा है।
कोइराला ने कहा कि दो तीन दिन पहले ओली ने कहा कि अयोध्या के राजा राम का नेपाल के ठोरी के पास जन्म हुआ था। इस बात का ना तो कोई आधार है ना कोई प्रमाण है। प्रधानमंत्री जैसा व्यक्ति को इसतरह का बयान देते समय अत्यन्त ही संयमित और गम्भीर होना चाहिए। इसका प्रमाण नहीं होने तक इसका वास्तविकता समझे बिना प्रधानमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कोई भी बात नहीं बोलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जितना कम बोले उतना अच्छा है।
नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने ओली की इस टिप्पणी की कड़ी निन्दा की और इसे ‘‘निरर्थक तथा अनुचित’’ करार दिया। पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टरई ने ट्वीट किया, ‘‘ओली के बयान ने सारी हदें पार कर दी हैं। अतिवाद से केवल परेशानी उत्पन्न होती है।’’ उन्होंने ओली पर व्यंग्य करते हुए कहा, ‘‘अब प्रधानमंत्री ओली से कलियुग की नयी रामायण सुनने की उम्मीद करें।’’
नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री एवं हिन्दू समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री से इस तरह की मूर्खतापूर्ण, अपुष्ट और अप्रमाणित टिप्पणी वांछनीय नहीं थी। प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री ओली का ध्यान भारत के साथ संबंधों को सुधारने की जगह नष्ट करने पर केंद्रित है, जो उचित नहीं है।’’
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता बामदेव गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को अयोध्या पर की गई अपनी टिप्पणी वापस लेनी चाहिए। गौतम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री ओली ने बिना किसी साक्ष्य के बयान दिया और इससे देश के भीतर और बाहर केवल विवाद खड़ा हुआ है। इसलिए उन्हें बयान वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।’’
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