लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच अब अमेरिका खुलकर भारत के साथ आ गया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि अगर चीन मित्र देशों को परेशान करने की कोशिश करेगा तो वह दक्षिण चीन सागर से हिमालय तक अपने मित्र देशों के साथ खड़ा होगा। एक दिन पहले ही हॉन्गकॉन्ग स्वायत्तता कानून पर हस्ताक्षर के बाद अब चीन के खिलाफ अमेरिका ने एक और कड़ा संदेश दिया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह एक ऐसा दौर है जब दुनिया कोरोना वायरस से मुकाबला कर रही है, वहीं दूसरी ओर चीन अपनी विस्तार वादी नीतियों को हवा दे रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की नापाक हरकत का प्रभाव आर्कटिक, हिंद महासागर, भूमध्यीय सागर के साथ अन्य जलमार्गों पर भी पड़ता है। अमेरिका चीन को लेकर अब कड़ा रुख अख्तियार कर रहा है। इसी क्रम में बुधवार को यूएस में हॉन्गकॉन्ग स्वात्तता कानून पर हस्ताक्षर हुए जो कि उसे चीन को अत्याचार के लिए जिम्मेदार ठहराने के ज्यादा अधिकार देने वाला है।
America will stand with our friends in upholding sovereignty in the face of Beijing’s belligerence-whether in South China Sea or the Himalayas: US State Department https://t.co/iyLinZb0a5
— ANI (@ANI) July 16, 2020
शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करेगा अमेरिका
इस बीच व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान जारी किया है। ट्रंप ने कहा कि भारत और चीन के बीच जारी विवाद को शांत करने के लिए वे हर कोशिश करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा मैं भारत के लोगों से प्यार करता हूं वहीं चीन के लोगों से भी प्यार करता हूं। ऐसे में दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए वे हर कोशिश करने के लिए तैरूार हैं।
हॉन्गकॉन्ग के रास्ते चीन पर कसी नकेल
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'हमने देखा कि हॉन्गकॉन्ग में क्या हुआ। उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई ताकि फ्री मार्केट में वह स्पर्धा न कर सके। मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग अब हॉन्गकॉन्ग छोड़ने वाले हैं। हमने एक बहुत ही अच्छा स्पर्धी खो दिया है। हमने उसके लिए बहुत कुछ किया था।' उन्होंने कहा कि अब हॉन्गकॉन्ग को भी कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जाएगा। हॉन्गकॉन्ग को भी चीन की तरह ही माना जाएगा।
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