कर्नाटक में एक बेहद नाटकीय घटनाक्रम के बीच राज्य के सैकड़ों डॉक्टरों ने एक साथ सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। ये सभी कॉन्ट्रेक्ट काम करने वाले एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जो राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में काम करते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में ऐसे 507 डॉक्टरों में से अधिकतर ने इस्तीफा दे दिया है। ये सभी डॉक्टर पक्की नौकरी और वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर पहले भी इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे। लेकिन बार बार राज्य सरकार की ओर से मिल रहे आश्वासनों से आजिज आकर आखिरकार बुधवार को डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया।
बता दें कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों यानी पब्लिक हैल्थ सेंटर्स में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले 507 MBBS डॉक्टर्स में से अधिकांश ने बुधवार शाम को सामूहिक इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में काम कर रहे ये डॉक्टर्स पिछले कुछ समय से उनकी नौकरी को स्थायी करने और वेतन बढ़ोतरी की माँग कर रहे थे। इनका आरोप है कि सरकार की ओर से हर बार उन्हें झूठा आश्वासन ही मिला कोई ठोस कार्यवायी नहीं हुई इसीलिए इन सभी को सामुहिक इस्तीफा देने पर विवश होना पड़ा। गौरतलब है कि इस्तीफा देने वालों में से अधिकांश कोविड ड्यूटी कर रहे थे।
बता दें कि कोरोना संकट के बीच गांव में काम कर रहे इन डॉक्टरों को 45000 रुपए मासिक वेतन मिलता है। डॉक्टरों का आरोप है कि नियमित डॉक्टरों को 80000 रुपए महीना वेतन दिया जाता है। यहां तक कि कोरोना संकट के दौरान जिन डॉक्टरों को कॉन्ट्रेक्ट पर रखा गया है वे भी 60000 रुपए वेतन पा रहे हैं। डॉक्टरों ने जून में भी इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन सरकार से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया था।
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