जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज शनिवार दोपहर 12.30 बजे मंत्री परिषद की बैठक बुलाई है। राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। देखना होगा कि मंत्री परिषद की बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर क्या फैसला होता है। इससे पहले शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री और उनके खेमे के विधायकों ने राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की थी और कई विधायक इस मांग को लेकर धरने पर बैठ गए थे।
बाद में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। राज्य सरकार द्वारा दिनांक 23 जुलाई, 2020 को रात में विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किये जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया तथा विधि विषेषज्ञों द्वारा परामर्ष प्राप्त किया गया।
राजभवन द्वारा बताया गया कि विधानसभा सत्र को किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन प्रदान किया गया है। राजभवन ने बताया कि अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का न तो कोई औचित्य प्रदान किया गया है और ना ही कोई एजेण्डा प्रस्तावित किया गया है। सामान्य प्रक्रिया में सत्र आहूत किए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी होता है।
राजभवन की तरफ से अशोक गहलोत सरकार को ये सुनिश्चित करने के निर्देस दिए गए हैं कि सभी विधायकों की स्वतन्त्रता एवं उनका स्वतंत्र आवागमन तय किया जाए। राजभवन ने जानकारी दी कि कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है। उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देष राज्य सरकार को दिए गए हैं।
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