महाराष्ट्र में एंबुलेंस संचालकों की मनमानी से तंग आकर सरकार ने इन सभी ऐम्बुलेंस को अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय लिया है। इसके अलावा भी उन निजी वाहनों को भी लेगी, जिसे ऐम्बुलेंस में तब्दील किया जा सकेगा। महाराष्ट्र में निजी एंबुलैंस अधिग्रहित करने का आदेश प्रदेश सरकार ने जारी किया है। सूबे के सभी जिलो मे जरूरत के लिए प्राइवेट एंबुलैंस अधिग्रहित करने का महाराष्ट्र सरकार ने आदेश जारी किया है। सरकार जिनके ऐम्बुलेंस और वाहन लेगी, उसका उन्हें निर्धारित किराया भी देगी। इन ऐम्बुलेंस की सेवा लेने वालों को सरकारी दर पर भुगतान करना होगा।
सरकार के आदेश के अनुसार, सांसद, विधायक फंड से खरीदे गए ऐम्बुलेंस के अलावा प्राइवेट ऐम्बुलेंस और गाड़ियों को महानगरपालिका आयुक्त व जिला कलेक्टर अपने कब्जे में लेंगे। इसके एवज में सरकार उन्हें क्षेत्रीय परिवहन की ओर से तय दर के अनुसार किराया देगी। किराया सुनिश्चित करते समय वाहनों का किराया और वास्तविक यात्रा दूरी ( किलोमीटर ) पर विचार करेगी। इसके अलग मापदंड भी तय किए गए हैं। पहला निजी या संस्था के वाहन या ऐम्बुलेंस को ड्राइवर व ईंधन खर्च के साथ लेगी या फिर सिर्फ उनका वाहन देगी। उसी आधार पर संबंधित जिले के कलेक्टर और आयुक्त मासिक किराया तय करेंगे। इसे अधिग्रहण करने का मतलब है कि कोरोना काल के इस दौर में लोगों को आसानी से ऐम्बुलेंस की सेवा मिल सके। सरकार किसी सरकारी व लोकल बॉडी के अस्पतालों का ऐम्बुलेंस नहीं लेगी।
सरकार के अनुसार 108 नंबर पर सेवा देने के लिए 976 ऐम्बुलेंस ही हैं, जो अब नाकाफी हैं। इस नंबर पर कॉल करने के बाद भी लोगों को ऐम्बुलेंस की सेवा नहीं मिल रही है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने निजी व संस्था के ऐम्बुलेंस व वाहन अधिग्रहण करने का निर्णय लिया है। एमपी और एमएलए फंड से भी बड़ी संख्या में ऐम्बुलेंस खरीदे गए हैं। उसे भी सरकार टेक ओवर करेंगी।
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