वाशिंगटन। अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव का असर अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक कर रहे उन हजारों चीनी छात्रों पर पड़ सकता है जिन्हें ट्रंप प्रशासन जल्द ही बाहर का रास्ता दिखा सकता है। अमेरिका चीन के अधिकारियों पर नई पाबंदियां भी लगा सकता है। गौतलब है कि व्यापार, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस, मानवाधिकार और हांगकांग के दर्जे को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह चीन के बारे में शुक्रवार को घोषणा करेंगे। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि वह चीन के खुफिया विभाग या पीपल्स लिबरेशन आमी से संबद्ध चीन के शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े छात्रों के वीजा रद्द करने के महीनों पुराने प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप चीन के अधिकारियों पर यात्रा एवं वित्तीय पाबंदियां लगाने के बारे में भी विचार कर रहे हैं।
ट्रंप ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था, 'चीन के बारे में हम क्या कर रहे हैं यह घोषणा हम कल करेंगे। हम चीन से खुश नहीं हैं।' वीजा रद्द करने के प्रस्ताव का अमेरिकी विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संगठनों ने विरोध किया है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि कोई भी पाबंदी इस तरह से लगाई जाएगी जिससे कि केवल वे छात्र प्रभावित हों जो जासूसी या बौद्धिक संपदा की चोरी जैसा खतरा पैदा कर सकते हैं। उन्होंने यह नहीं बताया कि कितने छात्रों को निकाला जाएगा हालांकि यह कहा कि यह देश में मौजूद चीनी छात्रों का एक छोटा सा हिस्सा होगा। इस प्रस्ताव से शैक्षणिक समुदाय चिंतित है।
अमेरिकी शिक्षा परिषद में सरकारी संबंध मामलों की निदेशक सारा स्प्रिटजर ने कहा, 'इसे कितने व्यापक पैमाने पर लागू किया जाएगा, यह सोचकर हम चिंतित हैं। इससे यह संदेश जाएगा कि हम दुनियाभर के प्रतिभाशाली छात्रों और विद्वानों का अब स्वागत नहीं करते हैं।' अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के मुताबिक अमेरिका में अकादमिक वर्ष 2018-19 में स्नातक स्तर में चीन के 133,396 छात्र थे जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों का 36.1 फीसदी था।
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