नई दिल्ली: भारत-चीन तनाव के बीच इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम 'कमांडर कॉन्फ्रेंस' पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (रिटायर) वीपी मलिक ने इस बात से इंकार किया कि यह तनाव भारत-चीन के बीच एक और युद्ध का कारण बनेगा। इसी के साथ उन्होंने आगाह भी किया कि भारत को निश्चिंत होकर बैठ नहीं जाना चाहिए बल्कि लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह चीन के राजदूत ने शांति का संदेश दिया है उससे से भी यही लगता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं होगा। जनरल मलिक ने इस तनाव का मुख्य कारण चीन पर लगे प्रतिबंधों को बताया जिससे वह तिलमिलाया हुआ है।
वहीं लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारतीय सेना ने हाल ही में सैन्य निर्माण किये हैं जो चीन को नहीं भा रहा। चीन दादागीरी दिखाकर भारत से बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण बंद करने को कह रहा है। भारत ने इसे बंद करने से साफ मना कर दिया है क्योंकि चीन ने अपनी तरफ बहुत बड़ा कंस्ट्रक्शन किया है।
चीन उस सामरिक महत्व की सड़क के निर्माण को रोकना चाहता है जो लद्दाख के दुरबुक से श्योक होते हुए दौलत बेग ओल्डी तक जाती है। ये करीब 255 किलोमीटर लंबी 'डीएसडीबीओ' सड़क है। यह सड़क गलवान घाटी के करीब से गुजरती है। इस डीएसडीबीओ रोड के बनने से डीबीओ और काराकोरम दर्रा लद्दाख के प्रशासनिक-मुख्यालय लेह से जुड़ गया है। सड़क निर्माण के साथ ही भारतीय सेना ने यहां बंकर, बैरक और किलेबंदी का काम भी पूरा कर लिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि चीन की यह आदत बन गई है कि जो विवादित क्षेत्र है उसमें पेट्रोलिंग बढ़ाकर धीरे-धीरे उसपर कब्जा कर लेता है। रिटा. जनरल वीपी मलिक ने इस तनाव को जम्मू-कश्मीर से भी जोड़ा। उनका कहना है कि चीन का जम्मू-कश्मीर को लेकर जो व्यवहार है वह बदल गई है और पाकिस्तान की तरफ झुक गया है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के भारत सरकार के फ़ैसले के बाद चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके साथ ही कोरोना वायरस पर जांच की मांग करने, उनका भारत में FDI पाबंदी लगाई है और चीन से आयात में कटौती की कोशिशों से भी चीन तिलमिलाया हुआ है।
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