नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए हालातों का आंकलन करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आशंका जताई है कि जून के अंत तक दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 1 लाख तक पहुंच सकती है। इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ महेश वर्मा के नेतृत्व वाली कमेटी ने दिल्ली सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जताई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में 15 दिन में केस डबल हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली को कुछ दिन बाद 15 हजार बेड की ज़रूरत पड़ेगी। रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में जिस रफ्तार से कोरोना वायरस बढ़ रहा है, उसे देखते हुए 15 जुलाई तक 42 हजार बेड की ज़रूरत पड़ सकती है। इसके साथ ही सुझाव दिया है कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर शहर के स्वास्थ्य ढांचे का इस्तेमाल केवल राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों के उपचार में होना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि अगर दिल्ली का स्वास्थ्य ढांचा बाहर के लोगों के लिए खुला रहा तो महज तीन दिन में सारे बेड भर जाएंगे। कमेटी के सदस्यों में जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुनील कुमार, दिल्ली चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ आर के गुप्ता और मैक्स अस्पताल के समूह चिकित्सा निदेशक डॉ संदीप बुद्धिराजा हैं।
दिल्ली सरकार ने कमेटी को राष्ट्रीय राजधानी में स्वास्थ्य ढांचे और कोविड-19 से निपटने में अस्पतालों की तैयारी पर सुझाव देने को कहा था। कमेटी को यह भी सुझाव देने को कहा गया कि दिल्ली में महामारी से बेहतर तरीके से निपटने में सरकार को और किस क्षेत्र में ढांचे को बेहतर करने की जरूरत है। अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिसपर सरकार को फैसला लेना है।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि रविवार को मंत्रिमंडल की बैठक होगी। उसमें रिपोर्ट पर अंतिम फैसला होने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि सरकार कमेटी के सुझावों को स्वीकार कर सकती है।
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