नयी दिल्ली। कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों की प्रायोगिक दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुनिया भर में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में किसी भी अप्रमाणित दवा के 'करुणामय उपयोग' के लिए एक मसौदा अधिसूचना जारी की है। नयी दवा एवं क्लिनिकल ट्रायल (संशोधन) नियमावली का मसौदा किसी अस्पताल या चिकित्सा संस्थान के नुस्खे पर निर्धारित अप्रमाणित दवाओं के उत्पादन एवं आयात को नियमित करता है।
मसौदा नियमों की पांच जून को प्रकाशित गजट अधिसूचना के मुताबिक, कोई अस्पताल या चिकित्सा संस्थान 'जानलेवा बीमारी या गंभीर स्थायी विकलांगता करने वाली बीमारी या ऐसी बीमारी से पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए, जिनकी चिकित्सीय आवश्यक्ता पूरी नहीं हुई हो, करूणामय उपयोग के उद्देश्य से' नयी दवाओं का आयात कर सकते हैं जिनके प्रयोग को देश में अनुमति नहीं है लेकिन वे देश या विदेश में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में हैं। वे केंद्रीय औषधि नियामक को आवेदन देकर ऐसा कर सकते हैं।
इसके अलावा, अगर कोई अस्पताल इन्हीं मकसदों के लिए नयी दवा लिखते हैं तो नियमावली के प्रावधानों के अनुसार सीमित मात्रा में उनके उत्पादन को अनुमति दी जा सकती है। नयी दवा बनाने की मंशा रखने वाले उत्पादक को लिखित में मरीज की या उसके कानूनी वारिसों की सहमति लेनी होगी जिसके लिए यह दवा लिखी गई है और ऐसी नयी दवा के निर्माण के लिए उसकी विशेष अनुशंसा प्राप्त करने के लिए अस्पताल या चिकित्सा संस्थान की नीति समिति को आवेदन देना होगा। मसौदा नियमावली के मुताबिक नीति समिति की अनुशंसा प्राप्त करने के बाद, उत्पादक को नयी दवा के करुणामय उपयोग की अनमुति हासिल करने के लिए केंद्रीय लाइसेंसी प्राधिकरण को आवेदन देना होगा।
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