प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों को सलाह दी है कि वे लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बल प्रयोग न करें बल्कि इस संबंध में जागरूकता फैलाएं। अदालत ने सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने के आरोपी याचिकाकर्ताओं को भी निर्देश दिया कि वे आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक शपथ पत्र दाखिल करें कि वे कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करेंगे और भविष्य में कोई भी नियम नहीं तोड़ेंगे।
जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह आदेश पारित किया। याचिका में आगरा के निवासी मुन्ना और 6 अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, ‘वे लॉकडाउन के दौरान गरीबों के बीच भोजन का पैकेट बांटने में व्यस्त थे और इस दौरान अचानक एक स्थान पर कुछ लोग एकत्रित हो गए। उन्होंने भीड़ तितर-बितर करने के सभी प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हो सके।’
बेंच ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र दाखिल होने तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘FIR में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ केवल यह आरोप है कि आगरा के ताजगंज में मालको गली में एकत्रित 8-10 लोगों द्वारा सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन नहीं किया गया।’ अदालत ने यह भी कहा, ‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि शहर के इन लोगों का यह दायित्व है कि वे कोविड-19 महामारी से सामूहिक रूप से लड़ने में सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करें।’
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